देश भक्ति शायरी इन हिंदी देशभक्ति शायरी सुविचार:-
#1
वतन के रखवाले हैं हम
शेर -ए-जिग़र वाले हैं हम
मौत से हमें क्यों डर लगेगा
मौत को बाँहों में पाले हैं हम
जय हिन्द वन्दे मातरम
#2
वतन के लिए जो फ़ना हो गए हैं
तिरंगा उन्हीं की सुनाता कहानी.....
किया दिल से हर फैसला ज़िंदगी का
कोई बात समझी, न बूझी, न जानी....
#3
कतरा - कतरा भी दिया वतन के वास्ते...
एक बूँद तक ना बचाई इस तन के वास्ते ...
यूं तो मरते है लाखो लोग रोज़,
पर मरना वो है दोस्तों जो जान जाये वतन के वास्ते...
जय हिन्द,जय भारत..!!
#4
लहू देकर तिरंगे की बुलंदी को संवारा है.....
फरिश्ते हो वतन के तुम, तुम्हे सलाम हमारा हैं।
देशभक्ति गीत, देशभक्ति कविता:-
#1
वीरों का भारत है
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लहू देकर जिसे सींचा वही वीरों का भारत है
जो दे कंधा हिमालय को उसी धीरों का भारत है
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रहा सोया सियाचीन में ओढकर बर्फ की चादर
जवां ऐसे है भारत की करते नाज हैं उन पर
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वतन के आन के खातिर हंस कर जान देते हैं
जो आए चोट हम पर तो वो सिना तान देते हैं
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महावीरों की जननी है ये हिन्दुस्तान की माटी
जहां जन्मे महाराणा शिवाजी है वही माटी
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माऐं भेजती बेटे को सरहद पर तिलक कर के
आना लौट के घर तो दुश्मन को खतम करके
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मैं मां तेरी छोटी तेरी धरती बड़ी मां है
रखना लाज माटी की ये कहती तेरी मां है
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बेटा भी कहां कम है बसा है दिल में हिन्दुस्तान
तिरंगा पे नजर जिसका जुबां पे जय हिन्दुस्तान
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नहीं हिम्मत किसी की हिन्द पे टेढी नजर डाले
अंतिम सांस तक लड़ते रहे क्या खूब मतवाले
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बहादी खून की हर बूंद तिरंगे की शान में
तिरंगे में लपेटा लाश आया मां के सामने
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मां देख कर बेटे से बोली वाह मेरे लाल
बड़ी मां का चुकाया कर्ज तुने कर दिया कमाल
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अगर सौ पुत होता तो उसे भी भेजती रण मे
बड़ी मां गोद ली मुझको बुलाया होगा तू मन में
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तभी तो देश को अपने मां कह बुलाते हैं
शहीदों को भी उनकी नारियां कंधा लगाती हैं
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पिता के आंख से उस वक्त आंसु जो बहता है
रोती है जमीं ये देख कर सागर उफनता है
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चिता की आग से बेटा संकल्प लेता है
करुंगा काम मैं पुरा अटल संकल्प लेता है
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तभी तो देवता भी इस भूमि पे जन्म पाते हैं
मां की गोद में माता की जय जयगान गाते हैं
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जन्मों के तपोबल से ये पावन धाम मिलता है
ये जमीन मिलती है ये हिन्दुस्तान मिलता है
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"जय श्री राम"
#2
ताकत वतन की हमसे है
हिम्मत वतन की हमसे है
इज्ज़त वतन की हमसे है
इंसान के हम रखवाले
पहरेदार हिमालय के हम, झोंके हैं तूफ़ान के
सुनकर गरज हमारी सीने फट जाते चट्टान के
ताकत वतन की हमसे है...
सीना है फौलाद का अपना, फूलों जैसा दिल है
तन में विन्ध्याजल का बल है, मन में ताजमहल है
ताक़त वतन की हमसे है...
देकर अपना खून सींचते देश की हम फुलवारी
बंसी से बन्दूक बनाते हम वो प्रेम पुजारी
ताकत वतन की हमसे है...
आकर हमको कसम दे गई, राखी किसी बहन की
देंगे अपना शीश, न देंगे मिट्टी मगर वतन की
ताक़त वतन की हमसे है...
खतरे में हो देश अरे तब लड़ना सिर्फ धरम है
मरना है क्या चीज़ आदमी लेता नया जनम है
ताकत वतन की हमसे है...
एक जान है, एक प्राण है सारा देश हमारा
नदियाँ चल कर थकी रुकी पर कभी न गंगा धरा
ताक़त वतन की हमसे है...
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